अतीत के पन्नों में झाँका तो ये लगा; आज मेरा स्वार्थ मेरे संस्कारों से भी बड़ा हो गया; बचपन में जिन्हें मैडम जी कह कर पैर छूता था आज फिर से उन्हें देखा तो लौड़ा खड़ा हो गया। |
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